विवरण हिन्दी में :
सम्पादक – भगवद्दत्त एवं हंसराज|
इस ग्रन्थ में ब्राह्मण ग्रन्थों में प्राप्त सभी पारिभाषिक शब्दों की व्याख्याओं का संग्रह है। वेदों का अर्थ जाननेवालों के लिए यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उपादेय ग्रन्थ है । यह ग्रन्थ १९२६ में लाहौर से प्रकाशित हुआ था। तब से सर्वथा दुर्लभ और अप्राप्य था ।