विवरण हिन्दी में :
बहुत समय से संस्कृत-व्याकरण की ऐसी पुस्तक की आवश्यकता अनुभव की जा रही थी, जो भारत के सभी विश्वविद्यालयों की बी०ए० और एम०ए० (संस्कृत) कक्षाओं के छात्रों की व्याकरण-सम्बन्धी आवश्यकता को शत-प्रतिशत पूर्ण कर सके। साथ ही उसकी लेखन-शैली ऐसी हो, जो संस्कृत-व्याकरण को \’व्याकरणं व्याधिकरणम्Ó दु:खदायी न बनाकर अत्यन्त सरल और सुबोध ढंग से प्रस्तुत करे। यह ग्रन्थ उसी आवश्यकता की पूॢत के लिए लिखा गया है। प्रयत्न किया गया है कि पुस्तक में कहीं पर भी कोई दुरूहता न आने पावे। छात्रों की प्रत्येक कठिनाई का उसमें यथास्थान निराकरण होता जाए।