विवरण हिन्दी में :
वैदिक देवों का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक स्वरूप प्रणेता- पद्मश्री डॉ० कपिलदेव द्विवेदी|
वेद आर्य जाति के प्राण हैं । वेदों में ज्ञान का भंडार हैं । वेदों में विभिन्न देवताओं का वर्णन है। उनके आध्यात्मिक और वैज्ञानिक अर्थ भी हैं। इसी दृष्टि से प्रस्तुत ग्रन्थ दो भागों में विभक्त है – १. वैदिक देवों का आध्यात्मिक स्वरूप, २. वैदिक देवों का वैज्ञानिक स्वरूप।
भार’ १ में वैदिक देवों के आध्यात्मिक और दार्शनिक स्वरूप का विवेचन किया गया है । इनमें मुख्यरूप से अग्नि, इन्द्र, सोम, मित्रवरुण, विष्णु, मरुत् , अश्विनी, सविता, रुद्र, सरस्वती, अदिति आदि का वर्णन है । अग्नि विश्वव्यापी ऊर्जा या आत्मतत्त्व है । इन्द्र जीवात्मा, परमात्मा, ऊर्जा है । सोम प्राणतत्त्व है । मित्र-वरुण धनात्मक और ऋणात्मक शक्तियाँ हैं । मरुत् प्राणशक्ति है । अश्विनी प्राण-अपान हैं। सरस्वती वाक्तत्त्व है । भाग २ में वैदिक देवों के वैज्ञानिक स्वरूप का विवेचन है । अग्नि विश्वव्यापी ऊर्जा, विद्युत्, Electricity है। इन्द्र ऊर्जा, Energy है। जोम विद्युत्-चुम्बकीय विकिरण है । मित्र Proton है। वरुण Electron है । विष्णु Atom है । मरुत् Electro-magnetic wave हैं । अश्वनी Proton & Electron हैं। सरस्वती Cerebro-spinal fluid है। अदिति Ether है। देवों का जीववैज्ञानिक स्वरूप भी दिया गया है ।
प्रस्तुत ग्रन्थ पद्मश्री डॉ० कपिलदेव द्विवेदी जी की घोर साधना का परिणाम है।